Friday, May 30, 2014

" समझने " में जरूर कुछ भूल हो गयी होगी





" समझने " में जरूर कुछ भूल हो गयी होगी 

दिल को  जरूर " ठेंच "  लग गयी होगी 

" गले लगाना  " रह गया होगा 

" प्यार जताना  " रह गया होगा 

उसको जरूर " नजर अंदाज " किया होगा 

जानबुझ के उसको " तड़पाया " होगा 

यूँ ही कोई  " मुख मोड़ता " नहीं , . . . . 

उसके नाम से " इसका दिल " अभी भी धड़कता होगा 

९ : १८ . . . .  ३१ / ०५ / २०१४ . . . .   शनिवार 

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