" समझने " में जरूर कुछ भूल हो गयी होगी
दिल को जरूर " ठेंच " लग गयी होगी
" गले लगाना " रह गया होगा
" प्यार जताना " रह गया होगा
उसको जरूर " नजर अंदाज " किया होगा
जानबुझ के उसको " तड़पाया " होगा
यूँ ही कोई " मुख मोड़ता " नहीं , . . . .
उसके नाम से " इसका दिल " अभी भी धड़कता होगा
९ : १८ . . . . ३१ / ०५ / २०१४ . . . . शनिवार
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