कुसाळकर ब्रदर्स ( अमर बाळासाहेब कुसाळकर )
Saturday, June 21, 2014
कितने सहज नैनों से ओझल हो गया वो चेहरा .. . ..
कितने सहज नैनों से ओझल हो गया वो चेहरा
कितने सहज उस चेहरेने भुला दिया ये चेहरा
कितने सहज याद आता है वो चेहरा
उतनेही सहजतासे रुला देता है वो चेहरा ।
९ : २० - - - - - - २२ / ०६ / २०१४ - - - - रविवार
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