तुझे तू , जो कुछ समझाना है वो समझ
हे नासमझ
हे नासमझ
मेरे दिन अलग है ...मेरी रातें अलग
मेरे ख्वाब अलग है ....मेरे ख़यालात अलग
मेरे वादे अलग है ...मेरे इरादे अलग
मेरी चाहत अलग है .....मेरी हसरत अलग
मेरे शिकवे अलग है ......मेरी शिकायते अलग
तुझे ,मुझे कितना निचे दिखाना है वो दिखा
मेरी राहे अलग है ....मेरी मंझिले अलग
मै अलग हूँ ...मेरी पहचान अलग
मेरा ढंग अलग है ....मेरा जज्बा अलग
मेरी सोच अलग है ....मेरे सितारे अलग
मेरी कश्ती अलग है ....मेरे किनारे अलग
तुम मुझे जितना जलील कर सकती हो उतना कर
तुम मुझे कितना नजर-अंदाज कर सकती हो उतना कर
तुम मुझे जितना मामूली समझ सकती हो ,उतना समज
तुम मुझे झुट्ठी बातें कहकर बहलाना चाहती ही ,तो बहलाओ
तुम पर अब यकीं नही रहा
अब ज़माने पे भरोसा नही रहा
खुदा करे ,...
जिन हालत में से मै गया हूँ
उस हालत में से तू भी जाये
3 : 44..................01/07/2011......friday
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